कबीर का दोहा
लाली मेरे लाल की, जित देखूँ तित लाल |
लाली देखन मैं गई, मैं भी हो गई लाल ||
मुझे हर जगह ईश्वरीय ज्योति दिखती है- अंदर, बाहर, हर जगह. लगातार ऐसी दैवी ज्योति देखते देखते, मैं भी ईश्वरीय हो गई हूँ |
कबीर का दोहा
लाली मेरे लाल की, जित देखूँ तित लाल |
लाली देखन मैं गई, मैं भी हो गई लाल ||
मुझे हर जगह ईश्वरीय ज्योति दिखती है- अंदर, बाहर, हर जगह. लगातार ऐसी दैवी ज्योति देखते देखते, मैं भी ईश्वरीय हो गई हूँ |
ऐसा कोई दोहा है कबीर जी का, जिसका विरोधाभाषी रूप में उनकी पुत्री कमाली ने जवाब दिया हो। वह दोहा जरूर पोस्ट करें।
कृपया जरूर बताएं बहुत महत्वपूर्ण है
मेरा अंग्रेजी अनुवाद देखिए:
Grace Grace everywhere of my dear God
When I tried to perceive through
Me became That all.